लेखनी कहानी -28-Mar-2023-कविता सागर
क्वणित नूपुर गूँज,
लाक्षा
रागरंजित...
क्वणित नूपुर गूँज,
लाक्षा
रागरंजित
चरण
धर-धर
प्रिय नितंबिनि सलज
पग-पग
पर
गुँजाती
हंस
कल
स्वर
मदन छवि साकार
करतीं
स्वर्ण
रशना
को
डुला
कर
तुहिन से सित
हार
चंदन
लिप्त
स्तन
पर
थिरक
थिरक
कर
इन्द्रजाल न डाल
देते,
कर
न
किसका
हृदय
आतुर
प्रिये ! आया ग्रीष्म
खरतर
!